बेरूत धमाका: लेबनान के प्रधानमंत्री ने पूरी कैबिनेट के साथ दिया इस्तीफा
लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दियाब (PM Hassan Diab) ने बेरूत धमाकों को लेकर चार कैबिनेट मंत्रियों के इस्तीफे के बाद अपनी सरकार के इस्तीफे की घोषणा कर दी है. लेबनान की राजधानी बेरुत में शक्तिशाली धमाके के बाद लोगों की मांग के आगे झुकते हुए प्रधानमंत्री हसन दियाब ने इस्तीफे की घोषणा की है.
विस्फोट से नाराज लोग सरकारी महकमे की लापरवाही और सरकार की अयोग्यता के आरोप लगाते हुए सड़कों पर उतर आए थे और पूरी सरकार से त्यागपत्र की मांग कर रहे थे. यही नहीं जनता के भारी आक्रोश के वजह से एक-एक करके मंत्रियों ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया था. लेबनान सरकार देश में भारी जनाक्रोश के चलते काफी दबाव में थी.
राष्ट्रपति इस्तीफा स्वीकार किया
हसन दियाब ने 10 अगस्त 2020 को कैबिनेट की बैठक के बाद प्रधानमंत्री पद से अपने त्यागपत्र की घोषणा की. लेबनान के राष्ट्रपति माइकल आउन ने प्रधानमंत्री समेत पूरी सरकार का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. हालांकि राष्ट्रपति ने हसन दियाब से नई सरकार के गठन तक पद पर बने रहने को कहा है.
बेरूत धमाका: एक नजर में
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बता दें कि बेरुत में 04 अगस्त 2020 को बंदरगाह पर स्टोर करके रखे गए दो हजार टन अमोनियम नाइट्रेट में विस्फोट हो गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस धमाके में अब तक 163 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 6,000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. बताया जाता है कि अभी भी सैकड़ों लोग लापता हैं जिनकी तलाश जारी है. पर्यावरण मंत्री डेमियनोस ने 09 अगस्त 2020 को देर रात जारी एक बयान में कहा कि वह पीड़ितों के साथ एकजुटता में अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे रहे हैं.
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लेबनान में लोग विस्फोट के लिए लापरवाही और कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. सरकारी अधिकारियों के इस्तीफा देने के आह्वान के बीच बेरूत में लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है. इस बीच, 09 अगस्त 2020 को दूसरे कैबिनेट मंत्री ने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया. इससे पहले, लेबनान के सूचना एवं प्रसारण मंत्री मेनल अब्देल-समद ने इस्तीफा दे दिया था.
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भारत ने दिया मदद का भरोसा
भारत शीघ्र ही लेबनान की मदद के लिए और दवा, खाने का सामान तथा आवश्यक सामग्री भेजेगा. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने भारत सरकार की तरफ से 04 अगस्त की घटना पर शोक जताया. लेबनान की मदद के लिए दुनिया ने अपनी-अपनी झोली खोल दी है. वैश्विक नेताओं और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने 298 मिलियन डॉलर (लगभग 2,231 करोड़ रुपये) की आपात मानवीय सहायता का भरोसा दिलाया है.
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